क्या आपने कभी यह महसूस किया है कि जब भी हम पीड़ा में होते है, तो पहला शब्द दर्द से लड़ने के लिए माँ शब्द उच्चारित करते है। जिससे मन को शक्ति, स्नेह और सुकून मिल जाता है।
माँ एक ऐसा शब्द जिसके उच्चारण मात्र से ही हृदय प्रेम, उल्लास और उमंग से भर उठता है।
आज इस निबंध में आपको माँ का परिभाषा, कहानियाँ, शायरी, माँ का महत्व इत्यादि महत्वपूर्ण बिन्दुओ पर विचार प्रस्तुत करना चाहती हूँ।
माँ एक अंनत सागर है, जो सबकुछ अर्थात दुख, दर्द, पीड़ा, हर्ष सबकुछ अपने में समेट कर अपने बच्चों को हर्षपूर्ण जीवन प्रदान करती है।
माँ देवी के भांति है, जो बिना किसी शर्त के, बिना किसी स्वार्थ के अपने बच्चों से निस्वार्थ रूप से प्रेम करती है। उनके चरित्र का गठन करती है।
माँ वह विशाल पेड़ के छाव की तरह है.. जिसके आंचल में प्रेम, दया और सुरक्षा महसूस होता है।
माँ हमारी प्रथम शिक्षक है.. जीवन के हर उतार - चढ़ाव से साहस से पार करना सिखाती है, सही और गलत के बीच अंतर एवं जीवन में सफल होने के लिए हर मार्ग पार साथ निभाती है।
माँ वह वीरांगना है, जिसने अपने सपनों को हमारे सपनों की पूर्ति के लिए त्याग दिया और हर कदम पर हमारा साथ निभाती है। माँ अटूट विश्वास, समर्थन, अनंत क्षमा और दया, सकारात्मक का प्रतीक है।
अत : माँ प्रेम, शिक्षा एवं सुरक्षा का त्रिवेणी संगम है, जो हमारे जीवन को सुंदर, सार्थक एवं सफल बनाती है।
महान विचारकों का बहुमूल्य विचार माँ पर
1. मन है तो मुमकिन है, शहंशाह होना। मां के आंचल से बड़ा दुनिया में कोई साम्राज्य नहीं - "डॉ सरोज कुमार वर्मा"
2. धूप हुई तो आंचल बनाकर कोने-कोने छाई अम्मा,
सारे घर का शोर- शराबा सुनापन तन्हाई अम्मा - "आलोक श्रीवास्तव "
3. शहर में आकर पढ़ने वाले भूल गए, किसी की मां ने कितना जेवर बचा था - "असलम कोलसरी "
4. माँ के प्यार में एक अद्वितीय शक्ति होती है, जो हमें सबसे बड़ी मुश्किलों का सामना करने की ताकत देती है। - "मुनव्वर राणा"
5. पिता पेड़ है, हम शाखाएं है उनकी। माँ छाल की तरह चिपकी हुई है। पुरे पेड़ जब भी चली है, कुल्हाड़ी। पेड़ या उसकी शाखाओं पर माँ ही गिरी है, सबसे पहले टुकड़े -टुकड़े होकर -" हरीश पाण्डेय"
वास्तव में माँ को परिभाषित करना अत्यंत कठिन है। मेरी एक छोटी- सी कविता माँ के लिए।
माँ, तेरे लिए
मैं एक जहान बनाना चाहती हूँ
तेरे हर ख्वाब को मैं
पूरा करना चाहती हूँ
तेरे हर दर्द को मिटाना चाहती हूँ
इस छोटे से जहान में
तेरे लिए प्यारा - सा घर बनाना चाहती हूँ
तेरे हर दुख को
सुख में बदलना चाहती हूँ
माँ, तेरे लिए
मैं सुंदर जहान बनाना चाहती हूँ।
1908 से मनाया जा रहा यह दिवस : मातृ दिवस
वर्तमान में अत्यधिक देशों में हर्ष और उल्लास के साथ मातृ दिवस मनाया जाता है। क्या आप जानते है? मातृ दिवस अर्थात "मदर्स डे" का इतिहास? चलिए जानते है।
इस दिवस की शुरुआत श्रेय अमेरिका की एना जॉर्विस की माँ एन रीव्स जॉर्विस की इच्छा थी कि वे अपनी माँ के अतुलनीय योगदान को सम्मानित करें, लेकिन दुर्भाग्य वश 1905 में उनकी मौत हो गयी। उनके निधन के तीन वर्ष के बाद 1908 में एना जॉर्विस ने इसे शुरु किया। इसकी तारीख उन्होंने इसलिए चुना क्युकी उनकी माँ की पुण्यतिथि "9 मई " के आस -पास रहे।कुछ समय बाद अमेरिका के 28वें राष्ट्रपति वुडरो विल्सन ने मई महीने के दूसरे रविवार को मदर्स डे का दिन तय किया।
धीरे -धीरे अनेकों देखो में मातृ दिवस को उल्लास, उमंग और उत्साह के साथ मनाया जाने लगा।
मातृ दिवस विभिन्न देशों में विभिन्न मजेदार, आकर्षण तरिके से मनाया जाता है। यह अलग -अलग अंदाज से माँ के प्रति दया, प्रेम, स्नेह एवं आदर प्रस्तुत करने का बहुत सौंदर्य भाव है।
1. जर्मनी : क्या आप जानते है? मदर्स डे को जर्मनी में "मदर टैग " कहा जाता है और यहाँ बड़े उल्लास, उत्साह और उमंग के साथ मई के दूसरे रविवार को मनाया जाता है।
2. यूनाइटेड किंगडम : क्या आप जानते है? यूनाइटेड किंगडम में मदर्स डे को "मदरिंग संडे " कहते थे। किसी जमाने में यहाँ मदर्स डे त्यौहारों के सीजन में ईस्टर से ठीक तीन सप्ताह पहले रविवार को मनाया जाता था।
3.पेरू : इस देश में अत्यधिक सम्मान, स्नेह और उमंग के साथ मदर्स डे मनाने की रित है। क्या आप जानते है.. जैसे हमारे देश में धरती को माँ कहकर सम्बोधित किया जाता है। ठीक उसी प्रकार पेरू में माँ को धरती माँ यानी पचाम्मा को भी पूजा जाता है।
कैसा लगा आपको विभिन्न महत्वपूर्ण तथ्य प्राप्त करके?
माँ, मम्मी, मातृ, आइ, अम्मा आदि शब्द जिनके लिए उपयोग होते है.. वह ईश्वर की सबसे अनमोल धरोहर है। वह त्याग, समर्पण, धैर्य, सहनशीलता, शक्ति एवं साहस का प्रतीक है।
माँ केवल अक्षरों से निर्मित एक शब्द नहीं.. अपितु प्रेम, करुणा, दया, साहस एवं समर्पण का भाव है। चलिए कोशिश करते है "माँ "शब्द के अक्षरों को विभाजित करके महत्व को समझने की।
म : मातृत्व वह मजबूत डोर है, जिसकी व्याख्या करना संभव नहीं।
मातृत्व एक ऐसा सशक्त बंधन है, जो बच्चों के जीवन को सौंदर्य रूप से आकर प्रदान करती है। बच्चों की भावनात्मक, बौद्धिक एवं सामाजिक विकास को पोषित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हूं। मां का ममता स्नेह से परिपूर्ण पूरे ब्रह्मांड का सबसे शुद्ध एवं निस्वार्थ प्रेम होता है। जब हमें छोटी सी चोट लग जाती है, हमसे भी सबसे अत्यधिक पीड़ा, आंसु जिनके गिरते हैं.. वह केवल माँ ही होती है। क्या आप जानते हैं ऐसा क्यों होता हैं? क्योंकि हर मां अपने बच्चों को संसार में लाने के लिए केवल 9 माह का दर्द ही केवल नहीं सहती है.. बल्कि अपनी इच्छा, सुख, पसंद की सामग्री इत्यादि को समर्पित कर देती है।
सिर्फ क्षण, हर सांस, हर दर्द और हर अश्रु में बस एक ही लक्ष्य अपने शिशु को सुरक्षित रूप से इस संसार में लाना।
यह मां का अटूट विश्वास है, यहां मां का संकल्प शक्ति है, यहां मां का त्याग एवं समर्पण की भावना है, यहां मां का धैर्य एवं सहनशीलता का गुण है। इसीलिए हर पीड़ा को हँसते-हँसते सह लेती है।
मां अपने बच्चों में आत्मविश्वास विकसित करती है.. उन्हें यहां विश्वास दिलाती हैं कि वे मुसीबत से लड़ कर हर पथ पर विजय हासिल कर सकते हैं।
अनंत : जब हम 5 साल के होते हैं तब हम अपनी माँ के लिए बच्चें हैं और जब 50 साल के भी हो जाते हैं.. तब भी बच्चे ही। जिस प्रकार भगवान का प्रेम अपने भक्तों के लिए अनंत होता है। ठीक उसी प्रकार माँ का प्रेम सदैव अपने बच्चों के लिए अनंत, असीम एवं अखंड होता है।
धन्यवाद
काजल साह
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