खुद से प्रेम करना एक असीम और सौंदर्य कला है। लेकिन दुख की यह बात है कि अधिकांश लोग दूसरों से प्रेम की आस लगाए बैठे रहते है।अगर दूसरों से प्रेम ना मिले तो व्यक्ति स्वयं के साथ कई बार बुरा व्यवहार करने लगते है। प्रेम अत्यंत अनमोल और पवित्र बंधन है, लेकिन आवश्यकता नहीं है कि यह बंधन जब दूसरों के साथ हो तब ही प्रेम कहलाता है। प्रेम का अटूट बंधन अगर स्वयं के जुड़ा हो तो यह प्रेम है।
लेकिन प्रेम अंधा नहीं होता है। जिस प्रकार गुलाब फूल में सुगंध के साथ कांटा भी मौजूद रहता है। ठीक उसी प्रकार हर व्यक्ति में अच्छे और बुरे गुण दोनों होते है। आत्मनिरीक्षण के माध्यम से आप अपनी मजबूती और कमजोरियों को अच्छे से ज्ञात कर पाते है।
अपनी मजबूतीयों को और जब आप मजबूत करने लगते और अपनी कमजोरियों को दूर करने के पूरा प्रयास करते है, तब धीरे - धीरे आगमन होता है सेल्फ लव का।
सेल्फ लव अर्थात स्वयं से प्रेम करना कोई स्वार्थ नहीं है। क्युकी अब आप अपना समय और ऊर्जा व्यर्थ लोगों एवं कार्यों में व्यय करना नहीं चाहते है। समय एवं ऊर्जा सीमित सभी के पास सीमित है। अपने समय और ऊर्जा का सदुपयोग करने की प्रथम सीढ़ी है सेल्फ लव का। आज इस निबंध के माध्यम से जानने का प्रयास करेंगे कि सेल्फ लव क्यों जरुरी है? सेल्फ लव से क्या - क्या लाभ होता है?
बेनिफिट्स ऑफ़ सेल्फ लव :
1. आत्मविश्वास : आत्मविश्वास वह अस्त्र है, जिससे आप वह डर, मुसीबतों को अपने जीवन से पराजय कर सकते है। आत्मविश्वास तब जागृति होती है, जब आप स्वयं से प्रेम करना आरम्भ करते है। सेल्फ लव में वह सशक्त शक्ति है जिससे आप अपनी क्षमताओं पर विश्वास करते है और अपनी आत्मविश्वासी विचार के साथ अपने लक्ष्य के प्रति दृढ़ निश्चय बनने लगते है।ईश्वर के द्वारा सबसे चमत्कारी प्राणी मनुष्य है। जिसमें अपार क्षमता है.. जिससे वह जीवन में कुछ भी पा सकता / सकती है। सुई से रॉकेट या धरती से अतंरिक्ष तक का सफर इसलिए सम्भव हो पाया है, क्युकी उन सभी व्यक्तियों को स्वयं पर अटूट विश्वास था.. और यह अटूट आत्मविश्वास स्वयं से प्रेम अर्थात सेल्फ लव से आरम्भ हुआ।
2. ख़ुशी : बुद्ध जी ने कहा था - " मनुष्य विचारों से निर्मित प्राणी है, जैसा वह सोचता वैसा वह बन जाता है। अधिकांश लोग स्वयं के बारे में बुरा सोचते है और कुछ बुरा हो जाता है तो भगवान या व्यक्ति पर दोष देने का प्रयास करते है। अब प्रश्न है कि हमारे साथ बुरा क्यों इ होता है? भगवान या अन्य व्यक्ति के कारणवश? नहीं! इसका प्रमुख कारण है कि हम स्वयं से प्रेम नहीं है। स्वयं पर विश्वास नहीं है। लेकिन जब हम खुद से प्रेम करने लगते है, तब मन में सकारात्मक विचारों का आगमन होता है। सकारात्मक विचारों से प्रेरित होकर सत्कार्य की दिशा की ओर अग्रसर होते है..अच्छे से कार्य से हमारा चरित्र निर्मित होता है।
खुद से प्रेम करने से आपकी आंतरिक शांति बढ़ती है और आप जीवन में छोटी - छोटी खुशियों को महसूस करने लगते है।
3. तनाव : दूसरों से हर बार आस करना क्या उचित है? नहीं.. कई बार जब आस पूर्ण नहीं हो पाता है। तब मन टूट जाता है। जीवन में तनाव अपना घर बनाना आरम्भ कर देती है। दूसरों से प्रेम की आस, धन की आस इत्यादि मनुष्य को आंतरिक रूप से खोखला कर देती है, जब आस अपूर्ण रहता। इसलिए अपने जीवन से तनाव जैसे अवसाद को दूर करने के लिए स्वयं से असीम प्रेम कीजिये।
4. सकारात्मक : जीवन एक संग्राम का मैदान है। परिस्थितियां कभी एक भांति नहीं रहती है। इसलिए यह अनिवार्य है कि मनुष्य में सकारात्मकता का समावेश रहे। सकारात्मकत विचार से कार्य आरम्भ करने का प्रथम एवं मजबूत
कदम है.. स्वयं से प्रेम करना अर्थात सेल्फ लव। सकारात्मक में प्रबल शक्ति है, जिसके माध्यम से नकारात्मक जैसे भयनायक शत्रु को पराजय कर सकते है .. आप। सकारात्मक विचार, सकारात्मक लोग एवं सकारात्मक कार्य आपके जीवन तभी आगमन होंगे.. जब अकप स्वयं से प्रेम करना आरम्भ करते है।
5. अच्छे : हम सभी दूसरों के समक्ष अच्छे बनने का हमेशा अभ्यास्त रहते है। किसी ने क्या खूब कहा है - दूसरों से मिलने के लिए हमारे पास पर्याप्त समय है लेकिन खुद से मिलने के लिए हर लाइन व्यस्त है । दूसरों में प्रेम तलाशने से पहले स्वयं से प्रेम करना अत्यंत जरुरी है। जब तक आप स्वयं से प्रेम नहीं करते है, तब तक आप कोई मजबूत रिश्ता एवं अच्छे रिश्ता नहीं बनाया जा सकता है। कहने का अर्थ है जब आप खुद से प्रेम करते है, तो आप दूसरों के साथ भी अच्छे संबंध बनाते है।
6. आत्म - सम्मान : सेल्फ लव अर्थात स्वयं से प्रेम करने में ही वह पर्याप्त शक्ति है, जिससे आप स्वयं को सम्मान देना सीखते है। खुद से प्रेम करने से आपका आत्म - सम्मान बढ़ता है और आप दूसरों की राय पर कम निर्भर रहते है
यह कुछ महत्वपूर्ण लाभ है। सेल्फ लव जरुरी है, लेकिन आपको नियमित रूप से अपने ऊपर अर्थात अपने पर्सनालिटी पर कार्य करना होगा। आपका सबसे पहले प्रतिस्पर्धा स्वयं से है। उपरोक्त टिप्स के अलावा - क्रिएटिविटी में वृद्धि, उत्पादकता बढ़ती है, प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होंगी, अधिक सहनशील होने लगते है, स्वतंत्र अधिक होते है, नए अनुभवों के लिये अधिक खुले रहते है, अधिक आत्मनिर्भर होते है और आप जीवन का अधिक आनंद लेते है इत्यादि।
आशा करती हूं कि यह निबंध आपके लाभदायकसिद्ध होगा।
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धन्यवाद
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