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17/04/2025 Aditi Pandey Family Views 46 Comments 0 Analytics Video Hindi DMCA Add Favorite Copy Link
डुमरिया के 12 गांवों में 118 संथाल परिवारों का सामाजिक बहिष्कार, डीसी से लगाई न्याय की गुहार

पूर्वी सिंहभूम के डुमरिया प्रखंड से एक गंभीर मामला सामने आया है, जहां 12 गांवों के 118 संथाल परिवारों को सामाजिक रूप से बहिष्कृत कर दिया गया है। बहिष्कार से परेशान परिवार गुरुवार को जमशेदपुर स्थित उपायुक्त कार्यालय पहुंचे और अपनी व्यथा सुनाई। इन परिवारों की मांग है कि उन्हें अलग से अपना ग्राम प्रधान चुनने की प्रशासनिक अनुमति दी जाए। इसके लिए उन्होंने गुरा हेंब्रम को नया ग्राम प्रधान चुन भी लिया है और अब इस पर आधिकारिक स्वीकृति चाहते हैं। छोटी-छोटी बातों पर हो रहा बहिष्कार, जिंदगी हुई मुश्किल टुकाराम मार्डी नामक ग्रामीण ने बताया कि गांव के वर्तमान ग्राम प्रधान किसी भी छोटी बात पर नाराज होकर परिवारों का धार्मिक और सामाजिक बहिष्कार कर देते हैं। बहिष्कार झेल रहे परिवारों के लिए सामान्य जीवन भी कठिन हो गया है। उन्हें गांव के कुएं और अन्य जलस्रोतों से पानी भरने तक की इजाजत नहीं है। मृत्यु जैसे दुखद मौके पर भी अंतिम संस्कार में अड़चनें आती हैं। गांववालों को सख्त हिदायत दी गई है कि वे इन परिवारों से बातचीत तक न करें और धार्मिक कार्यक्रमों में इनकी उपस्थिति पूरी तरह प्रतिबंधित कर दी गई है। इतना ही नहीं, किसी भी सरकारी योजना के लिए जरूरी दस्तावेजों पर ग्राम प्रधान हस्ताक्षर करने से इनकार कर देते हैं, जिससे सरकारी योजनाओं का लाभ भी इन परिवारों को नहीं मिल पा रहा है। नया ग्राम प्रधान चुना, अब प्रशासन से मुहर की मांग सामाजिक बहिष्कार से तंग आकर इन 118 परिवारों ने 13 अप्रैल को डुमरिया के छोटा अस्ति गांव में बैठक की। सोनाराम हेंब्रम की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में गुरा हेंब्रम को नया ग्राम प्रधान चुन लिया गया। अब परिवारों की मांग है कि प्रशासन इस नवनिर्वाचित ग्राम प्रधान को स्वीकृति प्रदान करे, ताकि वे सम्मानपूर्वक जीवन जी सकें। भागमत सोरेन नामक ग्रामीण ने कहा, हम सब सरना धर्म के अनुयायी हैं, ग्राम प्रधान भी इसी धर्म से हैं, फिर भी हमें बहिष्कृत कर दिया गया। यह अन्यायपूर्ण है। स्कूल में भी बच्चों का सामाजिक बहिष्कार बहिष्कार की मार बच्चों पर भी पड़ रही है। मनीराम मुर्मू के बेटे कुंवर मुर्मू ने बताया कि वह आठवीं कक्षा में पढ़ता है लेकिन स्कूल में उसके सहपाठी उससे बात नहीं करते, न ही साथ खेलते हैं। यही हाल गांव के अन्य बहिष्कृत परिवारों के बच्चों का भी है। बच्चों के मन में उपेक्षा और अकेलेपन का गहरा असर देखने को मिल रहा है। उम्मीद प्रशासन से, कब मिलेगा न्याय 118 संताल परिवारों की मांग है कि प्रशासन इस सामाजिक बहिष्कार के खिलाफ सख्त कदम उठाए और उनके नवनिर्वाचित ग्राम प्रधान को मान्यता देकर उन्हें मुख्यधारा में जीने काà अधिकार दिलाए। अब देखना होगा कि जिला प्रशासन इस मसले पर क्या कार्रवाई करता है।

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