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14/07/2023 Kajal sah Mystery Views 412 Comments 0 Analytics Video Hindi DMCA Add Favorite Copy Link
मेरी छोटी सी कहानी

हमें अपने जीवन में मित्र बहुत बनाते है, लेकिन हमनें कभी खुद से यह प्रश्न किया है कि उनमें से कौन से मित्र हमारे अपने है, हमारे साथ है? 2 वर्ष पहले मेरे पास भी मित्र के भंडार थे, मैं कभी पहचान ही नहीं पाई कि कौन सच्चे कौन अपने कौन झूठे और कौन पराये है? आज का दौर स्वार्थ का दौर है, जहाँ स्वार्थ के लिए ही कोई अपना बनता है। मेरे जीवन में ऐसे भी सखी थी, जिसने कभी उसने मुझे समझा ही नहीं। जब चाहा मज़ाक बना दिया, जब चाहा आँखों से आँसू बहा दिया। लेकिन वो कहते है ना आप नये वस्तुओं से, नये स्थान से, नये लोगों से हमेशा कुछ ना तों कुछ सीखते रहते हो, जिससे आपके पास लोगों को अगली बार पहचानने का हुनर आ जाता है। कुछ ऐसा ही मेरे साथ काफ़ी मतलबी, बुराई करने वाले मित्र, अच्छे मित्र इत्यादि सभी से मुलाकत हुई। सभी ने मुझे लाइफ लेसन्स सिखाया।किसी ने गैरों पर भरोसा मत करना यह सिखाया, किसी ने स्वयं पर विश्वास ताकत दूसरे पर विश्वास हमेशा चोट देती है, इत्यादि। इतने सारे लोगों के अनुभव मिलने के बाद मुझे यह सीख मिली है कि सबसे अच्छा मित्र हम स्वयं के होते है।कोई आपको समझ नहीं सकता, कोई आपका जिंदगी भर साथ नहीं दे सकता है, कोई आपके ख़ुशी एवं दुःख में हमेशा साथ नहीं निभा सकता। केवल आप ही जो आप खुद को समझ सकते है, आप ही अपने सच्चे मित्र, प्रेम, हमदर्द, इत्यादि सब कुछ आप ही है। इसलिए आपको यह फर्क पड़ना नहीं चाहिए, कि कौन आपके साथ है? कौन आपके साथ नहीं? सिर्फ आप खुद का साथ निभाए एवं हर दुखी के क्षण, ख़ुशी के क्षण, हर पल खुद के साथ व्यतीत करे। कुछ समय पहले कि बात कहना चाहती हूँ, जब मैं 7 क्लास में थी, तब मैं बहुत ही दूसरी कि बुराई, चुगली, दूसरे को नीचा दिखाना इत्यादि सब मैं करती। लेकिन ना जाने मेरे जीवन में ऐसा परिवर्तन है, जिससे मेरी कुछ बुरी आदतें मिट गई। वो दिन था कोरोना काल यानि कोरोना का समय। जहाँ मैंने खुद को परखा, स्वयं को जाना एवं स्वयं में थोड़ा ही लेकिन मैंने सुधार लाने कि पहल ठान ली थी।यह टाइम मेरे लिए गोल्ड कि तरह क्युकी बहुत सारे कुछ सीख, मैंने खुद को समझा एवं खुद के कमजोरी को समझके मोबाइल के माध्यम धीरे - धीरे सुधार लाने कि मैंने चेष्टा कि। उस समय केवल मेरा सच्चा साथ मैं खुद एवं मोबाइल फोन में मौजूद इंटरनेट के माध्यम से।इसलिए इस स्वार्थपूर्ण संसार में कोई अपना नहीं है इसलिए खुद के मित्र आप स्वयं बनिए। अपने टाइम, अपने टैलेंट, अपने स्किल, अपने गुणों, अपनी ऊर्जा इत्यादि सबका सही से प्रयोग करे एवं स्वयं के निखार के लिए प्रतिदिन कार्य करे एवं स्वयं से कभी भी बेईमानी ना करें। स्वयं के प्रति हमेशा ईमानदार रहे। धन्यवाद काजल साह

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