राष्ट्रीय महिला योजना आयोग कि रिपोर्ट वॉयस ऑफ़ द वॉयसलेस बताती है कि देशभर में कई महिलाएं आधुनिक गर्भ निरोधक तरीकों को अपनाना चाहती है, पर पति व परिवार इसकी इजाजत नहीं देते। अगर वह छिपकर यह करती है, तो उन्हें हिंसा व मारपीट तक का सामना करना पड़ता है। यह स्थिति घरेलू आम महिलाओं की नहीं शिक्षित व कामकाजी महिलाओं की भी है। वही नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे -5 की रिपोर्ट के मुताबिक, गर्भनिरोधक के उपयोग से बाल मृत्यु दर व गर्भपात की संभावना में भी कमी आयी है। भारत में कुल प्रजनन दर 3.4 से घटकर 2.0 तक पहुँच गयी है, जो करीब 40% की गिरावट है।26 सितम्बर को वर्ल्ड कन्ट्रसेप्शन डे यानि गर्भनिरोधक दिवस है।इस मौके पर जाने गर्भनिरोधक तरीकों का इस्तेमाल करना महिलाओं के लिए कितना चुनौतीपूर्ण होता है।
द पॉपुलेशन कॉउन्सिल के मुताबिक, यदि आधुनिक गर्भ निरोधक के कार्यक्रमों को ठीक से लागू किया जाये, तो दुनिया भर में करीब 54 करोड़ अनचाहे गर्भ व 26 करोड़ गर्भपात रोके जा सकते है। आज दुनिया भर में ऐसी महिलाएं हैं, जो अपने परिवार की योजना बनाना चाहती है या खुद को अनचाहे गर्भ से बचाना चाहती हैं, मगर वह चाहकर भी गर्भनिरोधक के आधुनिक विकल्पों का इस्तेमाल नहीं कर पाती हैं।
ऐसा इसलिए, क्योंकि दुनियाभर में कई महिलाओं के लिए धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक मानदंड गर्भ निरोधक के इस्तेमाल से रोकते हैं, जिसके प्रति जागरूक होकर अनचाहे गर्भ के खतरे को रोका जा सकता है।
1. माँ बनने का सामाजिक दबाव : महिलाएं शिक्षित हो या अशिक्षित, कामकाजी हो या घरेलू, अमीर हों या गरीब, किसी भी धर्म, जाति या वर्ग से हों खुद को अनचाहे गर्भ से बचाना चाहती हैं। परन्तु आधुनिक गर्भनिरोधक विकल्पों का इस्तेमाल इसलिए नहीं कर पाती हैं, क्योंकि धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक नैतिकताएं उन्हें रोकती है। फैमिली प्लानिंग कब कर रही हो, बच्चे ईश्वर की देन हैं, बेटी मरे सुभागे की, दूध नहाओ, पूतो फलो या फिर हे ईश्वर मेरे यहां पुत्र और मेरे शत्रु के यहां पुत्रियां पैदा हो जैसी सांस्कृतिक धारणाएं महिलाओं के अनचाहे गर्भ या फिर सामान्य प्रेगनेंसी में भी एक मानसिक दवाब बना देती हैं। परिवार की इच्छा या फिर लड़कों के लिए सांस्कृतिक प्राथमिकता प्रेगनेंसी के दौरान तो अलग ही तरह का तनाव का कारण बनी रहती है।
2. पति या सास से लेनी पड़ती है इजाजत : विवाह होने के बाद एक स्त्री यह तय नहीं कर पाती कि वह गर्भनिरोधक का इस्तेमाल करे या नहीं, यानि उसे अभी माँ बनना है या नहीं। इसके लिए भी उसे अपने पति या सास से इजाजत चाहिए। पति इजाजत दे तो ठीक, नहीं तो उसे मां बनना ही है। महिलाओं की राय इस मामले में कोई कीमत नहीं है। जब तक गर्भ निरोधकों के इस्तेमाल के मामलों में औरतों की भूमिका सुनिश्चित नहीं की जाती, तब तक सही मायनों में परिवार नियोजन या जनसंख्या नियंत्रण जैसे कार्यक्रम कभी सफल नहीं हो सकते। इसके लिए चाहे कितने ही विज्ञापन किये जायें। यदि बात औरतों को सम्बोधित नहीं है, तो उन तक पहुंचती नहीं, आज भी सबसे बड़ी चुनौती यही है कि जहां एक तरफ शहरों में महिलाएं अपने स्वास्थ्य के प्रति संवेदनशील हो रही है और दूसरी तरफ ग्रामीण इलाकों में महिलाएं अपने स्वास्थ्य के प्रति बेहद लापरवाह होती है, उन तक यह बात पहुंचे कि वह कब बच्चा चाहती हैं। इसका निर्णय वह स्वयं करें। यह समझना सबसे अधिक जरुरी है कि मां बनने के लिए मानसिक और शारीरिक रूप से हर महिलाओं को सबसे पहले स्वयं तैयार होना जरुरी है। तभी वह स्वयं तैयार होना जरुरी है। तभी वह स्वयं के साथ - साथ आने वाले संतति के स्वास्थ्य के प्रति अधिक जिम्मेदारियां उठाने के लिए संकल्पित हो सकेंगी।
3. महिलाएं बच्चा पैदा करने की मशीन नहीं ::बहुत सारे राजनीतिक दल और धार्मिक प्रवक्ता अधिक बच्चा पैदा करने की नसीहत अक्सर देते रहते हैं। उनका काम तो बस प्रेरित करने का होता है और सो कर देते हैं। बच्चों के लालन - पालन और पोषण भी एक जिम्मेदारी होती है। वो इस सत्य को मानने को तैयार ही नहीं होते हैं कि बच्चों की देखभाल और पालन पोषण के लिए संसाधन भी जुटाने पड़ते हैं, क्योंकि हर बच्चा एक नयी जिम्मेदारी भी अपने साथ लाता है। इस तरह के बयान और सोच महिलाओं के आधुनिक गर्भ निरोधक के इस्तेमाल करने के विकल्प को अधिक चुनौतिपूर्ण बना देते हैं।
धन्यवाद
|
K
|
19.12.2024
Kajal sah
Readers
123
|
"पुस्तकालय "क्यों जाना चाहिए? 
सबसे सच्चा और अच्छा मित्र अच्छी किताबें हैं। जो मनुष्य के आत्मविश्वास, आत्मज्ञा .....
|
K
|
17.12.2024
Kajal sah
Readers
156
|
सम्पर्ण, सब्र एवं संघर्ष 
सम्पर्ण, सब्र एवं संघर्ष सफलता तक पहुँचने का मार्ग है। सफलता की ललक, सुखी एवं स .....
|
K
|
08.08.2024
Kajal sah
Readers
317
|
AI AND EGO
कृत्रिम बुद्धिमत्ता और अहंकार  
आज के डिजिटल युग में AI सबसे महत्वपूर्ण तकनीकों में से एक है ।अधिकांश लोग कहते .....
|
K
|
05.12.2024
Kajal sah
Readers
188
|
चेतावनी  
किसी भी लक्ष्य को पूर्ण करने के लिए सबसे पहले आलस का त्याग करना अत्यंत आवश्यक ह .....
|
K
|
03.12.2024
Kajal sah
Readers
209
|
सर्दियों में धूप 
यह विश्वास करना मुश्किल हो सकता है कि धूप में बैठने से सकारात्मक प्रभाव पड़ सकत .....
|
K
|
18.10.2024
Kajal sah
Readers
325
|
दो पहलू  
सोशल मीडिया एक ऐसा प्लेटफार्म है, जहाँ खेल से लेकर साहित्य तक, कला से लेकर कौशल .....
|
K
|
29.09.2024
Kajal sah
Readers
524
|
कविता : आखिर क्यों जन्मे बेटी? 
निशब्द मन और स्तब्ध मस्तिष्क संग
अस्थिर होती आत्मा के उद्वेलन से
अंसतुलित ह .....
|
K
|
23.09.2024
Kajal sah
Readers
390
|
वास्तविक पूंजी तन नहीं ज्ञान है! 
क्या लड़कियो की वास्तविक सुंदरता उसका चेहरा और तन है? क्या लड़कियो का जन्म बच्चों .....
|
K
|
21.09.2024
Kajal sah
Readers
350
|
बहुमूल्य रत्न  
समय वह बहुमूल्य रत्न है, जिसका सही उपयोग करके मनुष्य जीवन में सफलता के सोपान पर .....
|
|