मानव- मानव को खा रहा ह और इसका कारण बीमारी को बता रहा है!
हाए! राम कितनी बड़ी बीमारी से जूझ रहा हैं,
ईतने सारे ट्रीटमेंट से गुजर रहा है!
फ़िर उसी को, उसके पाप का कारण बता रहा हैं!
एसे शब्दों की बौछार से, कर दिया एक बीमार को,
मस्तिष्क से निर्बल, A अरे! क्यूँ ईतना सता रहा है!
और इसका कारण बीमारी को बता रहा है!
हाय! राम कौन इसका वंश चलायेगा,
लड़की जन्मी हैं, इसका ब्याह कौन करायेगा,
बिना पुत्र का तेरा वंश ना चल पायेगा.
एसे शब्दों की बौछार से, कर दिया उस महिला को हैरान!
वाह! इंसान कर दिया औरत को भी बीमार!
क्यूँ ईस तरह सता रहा है!
और इसका कारण बीमारी को बता रहा है!
प्रथम आना है तुझे कक्षा मे,
सर ऊंचा कर दिखाना हैं!
यदि कम आए अंक तो अपना मुह ना दिखाना है!
एसे शब्दों की बौछार से, बांध दिया उस बच्चे को नशे की जंजाल मे,
जिंदा होते हुए भी बस बचा हैं एक कंकाल मे!
वाह! इंसान तु खुद इंसान को खा रहा हैं,
और इसका कारण बीमारी को बता रहा है!
निठल्ला बैठा है, जाकर कुछ काम कर!
क्यूँ बना हैं सुर्खि अखबारों की?
यूँ ही पड़ा रहता हैं घर मे,
क्यूँ! बना हैं बेइज्जत हम इज्जतदारों की?
एसे शब्दों की बौछार से,
कर दिया एक नवयुवक को आत्महत्या के लिए मज़बूर!
वाह! इंसान तु खुद इंसान को खा रहा हैं,
और इसका कारण बीमारी को बता रहा है!
बीमार होते हुए भी इंसान कभी बीमार ना होता!
अगर उनकी जुबान पर शैतान ना होता!
सोच तु कितना बड़ा शैतान है,
की कलयुग तक को खाता जा रहा है,
जिससे विवश होकर, स्वयं भगवान् कल्की को आना पड़ जा रहा हैं!
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