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20/04/2025 Kajal sah Awareness Views 105 Comments 0 Analytics Video Hindi DMCA Add Favorite Copy Link
सिर्फ 7 दिनों में पैसे डबल?

गति से सबसे महत्वपूर्ण यह है कि हम कौन – सी दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। आज इस तकनीकि युग में आसानी एवं घर बैठे जरुरी समान,मन पसंदीदा भोजन एवं जरुरी कार्य कुछ ही पलों में हो जाते हैं।आसानी से उपलब्ध एवं शीघ्रता पाने की ललक ने युवाओं समग्र रूप से कमजोर हो रहे हैं। शारीरिक रूप से न कार्य करने की चाह न ही मन को मजबूत करने के लिए कुछ नया नहीं सीखते हैं। किसी भी चीज का अत्यधिक उपयोग या किसी भी चीज़ पर अधिक निर्भर रहना अनुचित है। आज युवा शिक्षा से दूर शीघ्र ही सफल होना चाहते हैं। किसी भी बड़े लक्ष्य तक पहुंचने के लिए समय लगता है। समय एवं ऊर्जा मनुष्य के पास सीमित है।सफलता के लिए कोई शॉर्टकट नहीं होता, बल्कि उसकी प्राप्ति के लिए कड़ी मेहनत, निरंतर अभ्यास, धैर्य रखना एवं स्वयं पर अटूट विश्वास जरुरी है।आज के अनेक नवजवानों के पास समय, ऊर्जा एवं संसाधन है, लेकिन वे अपनी सबसे बड़ी पूंजी ( समय, ऊर्जा एवं संसाधन ) का उपयोग सही दिशा में नहीं कर रहे हैं। और कई ऐसे युवा जो अपनी पूंजियों का दुरूपयोग कर रहे हैं। आज इस निबंध का विषय है - गति से महत्वपूर्ण है "दिशा"। यह विषय हमें यह सीखाता है कि तेज़ भागना ही सबकुछ नहीं है, बल्कि सही दिशा में धीरे –धीरे आगे बढ़ना आवश्यक है. 1. अर्थ : यह जान लेना जरुरी है कि सही दिशा से क्या तात्पर्य है? यही दिशा का अर्थ है – अपने जीवन के लक्ष्य, मूल्य एवं उद्देश्य को पहचानकर सही दिशा में अग्रसित होना। यह तो सत्य है कि अच्छी आदतों को जीवन में उतारने में समय लगता है लेकिन बुरी आदतें शीघ्र ही जीवन में लोग अपना लेते हैं।आज ऑनलाइन के माध्यम से युवा बेहद आसान तरिके से घर बैठकर कमाने की चाहत है। ऐसे ऑनलाइन एवं शॉर्टकट के कारणवश अनेक लोगों के साथ धोखाधड़ी भी हो रहा है और कई लोगों ने इसी शॉर्टकट की वजह से अपना धन खो देते हैं। गति तेज़ थी, लेकिन सही दिशा में नहीं,इसीलिए इसका परिणाम भी घातक होता है। डिजिटल भी आगे बढ़ा जा सकता है, लेकिन यह कोई स्कीम नहीं है कि 7 दिनों में पैसे डबल। डिजिटल हो या फिजिकल रुप में समय लगता है। ऊर्जा एवं समय का इन्वेस्ट सही दिशा में करने से संभव है लक्ष्य की प्राप्ति। डिजिटल उपकरणों का उपयोग स्वयं को योग्य एवं लक्ष्य की प्राप्ति के लिए उपयोग करना चाहिए। 2. अंधी : ट्रेडिंग,ऑनलाइन गेम्स, ऑनलाइन जुआ इत्यादि इन क्षेत्रों में आज एडल्ट एवं टीनेजर बड़ी रूचि दिखा रहे हैं।आज के समय में फेसबुक हो या इंस्टाग्राम इत्यादि किसी भी डिजिटल प्लेटफार्म पर आज ट्रेडिंग, ऑनलाइन गेम्स, ऑनलाइन जुआ खेलना इत्यादि के एड्स रहते हैं।आज की दुनिया में लोग ऐसे दौड़ में शामिल है, जो अंधे लोगों का दौड़ है अर्थात् उनलोगों के पास इन क्षेत्रों के बारे में ज्ञान नहीं है, केवल अन्य लोगों के कमेंट पढ़ने या अन्य लोगों के शान – शौकत देखकर अपनी सबसे बड़ी तीन पूंजी ( समय, ऊर्जा एवं धन ) का दुरूपयोग गलत दिशा में कर बैठते हैं। सोशल मीडिया पर जो हम देखते हैं, उसमें से अधिकांश लोगों की सफलता एवं लाइफस्टाइल वास्तविक नहीं होती है। सोशल मीडिया सम्पूर्ण रुप से वास्तविक नहीं है, बल्कि अर्धसत्य है। इसलिए यह अंधी दौड़ में शामिल न होकर हमें यह सोचना चाहिए कि हम कहाँ जा रहे हैं?अंधी दौड़ में शामिल होकर समय, ऊर्जा एवं धन की बर्बादी होती है। हमें यह भूलना नहीं चाहिए कि समय एवं ऊर्जा हमारे पास सीमित है, इसलिए सीमित पूंजी का उपयोग स्वयं को अयोग्य नहीं अपितु योग्य बनाने में उपयोग करना चाहिए। बीता हुआ एक भी क्षण वापस नहीं आ सकता है, इसलिए ऐसे कार्यों को हमें नहीं करना चाहिए, जिससे आगे बहुत पछताना पड़े। 3.स्पष्ट : समय, ऊर्जा एवं संसाधन का दुरूपयोग कोई क्यों करता है?जीवन में स्पष्टता का आभाव। कहने का तात्पर्य है कि अधिकांश युवाओं को यह पता ही नहीं होता कि वे जीवन में क्या करना चाहते हैं? अस्पष्ट लक्ष्य। जीवन में क्या करना है? क्यों करना है? कैसे करना है? कब करना है? ऐसे महत्वपूर्ण प्रश्नों का जवाब उनके पास नहीं होता। लक्ष्य की अस्पष्टता के कारणवश वे अनेक दिशाओं में भागते रहते हैं। यदि लक्ष्य स्पष्ट नहीं है, तो चाहे जितनी तेज़ी से भागा जाएँ, तो भी सफलता नहीं मिलती।युवाओं को सबसे पहले स्पष्ट एवं सार्थक लक्ष्य तय करना चाहिए। क्या करना है और सबसे महत्वपूर्ण क्यों करना है?जिस प्रकार अर्जुन का पूरा ध्यान पक्षी के आँख पर केंद्रित था, उसके आस – पास क्या था? उसे अर्जुन कोई मतलब नहीं था। अर्जुन ने पूरा ध्यान, ऊर्जा एवं समय लक्ष्य को पाने में लगा दिया। हमें अर्जुन की तरह बनना है। जीवन में स्पष्टता एवं लक्ष्य के प्रति सम्पूर्ण समर्पण भाव। 4. टेस्ट : लिखित रूप से परीक्षा देना हम सभी जानते हैं,लेकिन खुद का प्रतिदिन निरीक्षण करना अर्थात् आदतों का, व्यवहार का एवं स्वयं के चरित्र का। आत्म –,निरीक्षण के माध्यम से हम स्वयं को प्रतिदिन जान पाते हैं और अपनी आदतों, व्यवहार एवं चरित्र का गहन विश्लेषण कर पाते हैं। आत्म – निरीक्षण एक सशक्त प्रक्रिया है। जिससे हम खुद से अपनी आदतों, व्यवहार एवं चरित्र देखकर प्रश्न पूछते हैं। गति से अधिक महत्वपूर्ण है दिशा। सही दिशा में स्टेप by स्टेप बढ़ना अनुचित नहीं, बल्कि गलत मार्ग पर तेज़ गति आगे बढ़ने से ऊर्जा, समय एवं धन बर्बाद होता है। धन तो कमाया जा सकता है लेकिन समय एवं ऊर्जा को फिर से वापस नहीं लाया जा सकता है। 5.अस्त –व्यस्त एवं उत्पादकता : जो लोग कहते हैं कि समय की कमी है।और समय मिलता तो मुझे मैं क्या से क्या कर लेता। ऐसे लोग जो होते हैं, वे केवल समय का रोना रोते हैं और वे व्यस्त नहीं अस्त – व्यस्त रहते हैं। 24 घंटे अमीर और गरीब,सफल एवं असफल सभी लोगों के पास है। उसी समय का उपयोग करके कोई योग्य बन जाता है और कोई समय को बर्बाद करके असफल।अस्त – व्यस्त नहीं बल्कि उत्पादकता से समय का उपयोग करना सबसे आवश्यक है। दिशा से जुड़ा कार्य ही वास्तविक उपलब्धि है। 6.परिणाम : समय एवं ऊर्जा सीमित है। इन दोनों पूंजी का उपयोग गलत करने से परिणाम क्या होगा? परिणाम भयावह होगा। जीवन में न सुख की प्राप्ति न ही शांति की। जिसकी वजह से आत्मिक एवं मानसिक हानि होता है। 7. प्लानिंग: प्लानिंग के साथ कार्य करना आवश्यक है। सार्थक एवं स्पष्ट लक्ष्य तय कर लेने के बाद योजना बनाकर कार्य करें। योजना के बिना कार्य बेहतरीन करना संभव नहीं है। इसलिए पूर्ण नियोजन के साथ कार्य करना आवश्यक है। अब आप जान चुके होंगे कि गति से भी महत्वपूर्ण है दिशा। सही दिशा में धीरे – धीरे ही आगे बढ़ा जाएँ, लेकिन अंत में सब अच्छा होता है। उपरोक्त बिंदुओं के अतरिक्त है –अनुभवी व्यक्ति एवं मार्गदर्शन जरुरी है,निर्णय लेना एवं स्वयं से ईमानदारी। आशा करती हूं कि यह निबंध आपको अच्छा लगा होगा। धन्यवाद काजल साह

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