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23/04/2025 Kajal sah Awareness Views 159 Comments 0 Analytics Video Hindi DMCA Add Favorite Copy Link
प्रतिदिन – प्रतिक्षण

स्वयं को जानने का सबसे उत्तम माध्यम है एकांत समय।खुद के साथ अकेले समय बिताना कोई व्यर्थ समय नहीं होता,बल्कि अपनी आत्मा को जानने का सबसे उत्तम समय एकांत समय होता है।शुरू – शुरू में अकेले रहना कठिन हो सकता है।अनेक अच्छे एवं बुरे दोनों विचारों के आगमन होंगे,मन उदास और विचलित होगा ,लेकिन यह एकांत समय ही होता है,स्वयं को गहराई से जानने का।आज इस निबंध में एकांत की शक्ति क्या – क्या है? क्यों जरूरी है,अकेले रहना? आंतरिक शक्ति,आत्मविश्वास एवं आत्म–उन्नति के लिए एकांत समय खुद के साथ बिताना बेहद जरूरी है। 1. चिंतन:अस्त–व्यस्त से पूर्ण दिनचर्या में क्या हमलोग अपने विचारों का विश्लेषण कर पाते हैं अर्थात् दृष्टिकोण,विचार इत्यादि को। अधिकांश लोग अपने विचारों , अनुभवों एवं दृष्टिकोण को सटीकता से नहीं जानते हैं।लेकिन जब इस अस्त – व्यस्त की दिनचर्या से कुछ समय एकांत में जब स्वयं के साथ समय बिताते हैं,तब हम अपने विचारों को समझते है,अनुभवों का विश्लेषण कर पाते हैं एवं दृष्टिकोण को धीरे – धीरे समझते हैं अर्थात् एकांत समय आत्म–चिंता का अवसर नहीं बल्कि आत्म– चिंतन का अवसर है।इस सुखद ,अनमोल एवं बहुमूल्य समय को हमें व्यय नहीं करना चाहिए। 2. वृद्धि:समय कभी रुकता नहीं है और समय का दुरुपयोग जो व्यक्ति करता है,समय उसे बर्बाद कर देता है।जब लोगों के पास जॉब करने के बाद जो समय रहता है,उसे अधिकांश लोग मूवी ,सीरियल ,वेब सीरीज,सोशल मीडिया इत्यादि पर व्यय कर देते हैं।एकांत समय आत्मघात करने का समय नहीं होता ,बल्कि आत्मज्ञान की वृद्धि करने का सुअवसर होता है। जब हम अत्यधिक मनोरंजन से हटकर मनोमंजन पर ध्यान केंद्रित करते हैं।जब हम खुद के भीतर झांकते है।अच्छाइयों एवं कमजोरियों दोनों का विश्लेषण करते हैं।आत्म–चिंतन के बाद आत्म–ज्ञान वृद्धि करने का सबसे अनमोल समय एकांत पल होता है। 3. उन्नति:बूंद – बूंद – बूंद से सागर का निर्माण होता है।केवल कुछ दिनों के लिए खुद के साथ अकेले रहने से आत्म–उन्नति संभव नहीं है।प्रतिदिन ,प्रतिक्षण स्वयं के साथ एकांत में समय बिताने से स्वयं पर जीत हासिल करना संभव है। #कई बार दोस्तों,परिवार एवं समाज में रहने के कारण अधिकांश लोग खुद से निर्णय लेने में सक्षम नहीं होते।और कई बार ऐसे कार्यों के लिए "हां" कह देते हैं,जो उनके समय एवं ऊर्जा दोनों बर्बाद हो जाता है।लेकिन एकांत समय में आत्म–चिंतन, आत्म –ज्ञान के बाद निर्णय लेने की क्षमता मजबूत होती है। एकांत समय अर्थात् खुद के साथ समय बिताने से मन को जो शांति मिलती है,उसे रचनात्मकता एवं आत्मनिर्भरता के गुणों का विकास होता है।इसलिए एकांत समय को स्वर्णिम समय कहा गया है। अकेलापन अर्थात् एकांत पल सबसे अनमोल एवं अनुपम समय होता है।उपरोक्त लाभ के अतिरिक्त है –आत्म –संवाद की शक्ति में वृद्धि, नकारात्मकता से मुक्ति,नए कौशल सीखने का समय इत्यादि।अनेक लाभ हैं। निजी विकास अर्थात् स्वयं को शारीरिक,मानसिक,आध्यात्मिक एवं भावनात्मक स्वास्थ्य को कुशल एवं मजबूत करने का उत्तम समय है एकांत समय। " ना कहने की ताकत" समय एवं ऊर्जा हमारे पास सीमित है,इसलिए समय एवं ऊर्जा का उपयोग ऐसे स्थान ,कार्य या लोगों पर नहीं नहीं करना चाहिए,जिससे समय एवं ऊर्जा दोनों बर्बाद हो। 1. सीमा:जीवन में सीमा तय करना बेहद जरूरी है। छात्र जीवन हो या कार्यरत जीवन।सीमा तय न होने के कारण कई बार लोग ऐसे कार्य या लोगों को हां कर देते हैं,जिससे वे अपना जरूरी कार्य नहीं कर पाते हैं या ऊर्जा एवं समय दोनों बर्बाद होता है। यह अनिवार्य है कि जीवन में सीमा तय करना।यह हमें दूसरों के अधीन बनने से रोकता है और आत्म – सम्मान बनाएं रखता है। 2. बचत: समय सीमित है और जीवन में अनेक सार्थक कार्य करना अभी बाकी है। हर किसी की बात मानने से समय बर्बाद होता है।ऐसे कार्यों एवं लोगों को मना करें,जिसका संबन्ध आपके सपने से नहीं है।ऐसे कार्य एवं लोगों को मना करने से हमें समय को उन कार्यों में लगाना चाहिए,जो उन्नति के लिए महत्वपूर्ण है। आशा करती हूं, ये दोनों विषय पर निबंध आपको अच्छा लगा होगा। धन्यवाद काजल साह

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