नई पीढ़ी का स्वर
और,
कोई और उपमा दो
इतिहासों के पुरातन ग्रंथ
स्मृतियों के रुद्धद्वार खोल कर
कोई और उपमा दो
कि हमारा मूल्यांकन हो सके।
वीरता की तुला में
दूसरे पलड़े पर
गौरवान्वित अभिमन्यु
रुई के गाले सा
पंखों के ढेर सा
ऊंचा उठ जाएगा
(दुनिया हंसेगी,उस पर दया करो)
शत्रुओं ने जो ब्यूह रचे
उन्हें तोड़ना यदि वीरता है
तो निश्चय ही वह वीर था ।
पर,
शत्रुओं ने जो ब्यूह रचे
उन्हें तोड़ने से पहले
हमने वे ब्यूह भी तोड़े हैं
जो मार्ग में खड़े थे
जिनके निर्माता
हमारे ही संगी थे,हमारे ही सहोदर थे
अच्छे अनुभवी थे
हमसे कुछ बड़े थे।
शेखर जोशी
|