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09/10/2024 Kajal sah Development Views 86 Comments 0 Analytics Video Hindi DMCA Add Favorite Copy Link
"खुद वह बदलाव बनिये, जो आप दुनिया में देखना चाहते हैं "

गाँधी जी ने कहा था - " खुद वह बदलाव बनिये, जो आप दुनिया में देखना चाहते हैं " अगर इस कथन को हमें अपने जीवन में पालन करते है और नियमित रूप से स्वयं पर कार्य करते है.. तब हम वह परिवर्तन ला सकते है.. जो दुनिया में हम देखना चाहते है। वर्तमान में अधिकांश लोग दूसरे क्या कर रहे हैं,क्यों कर रहे हैं इत्यादि में अपना समय और ऊर्जा व्यय कर रहे हैं।जीवन क्षणभंगूर है। अर्थात किसी भी पल में जीवन की गति रुक सकती है। इसलिए जीवन को सार्थक, सुंदर और सफल बनाने के लिए सबसे पहले खुद को मजबूत करना अतिआवश्यक है। जिस प्रकार एक छोटे से बीज में एक विशाल वृक्ष बनने की ताकत है और अपने फल, सब्जियों एवं छाया से व्यक्तियों को खुशहाली प्रदान करने की असीमित क्षमता है। ठीक उसी प्रकार हर व्यक्ति आगे बढ़ सकता है। ऊँची - ऊँची उड़ान भर सकता है। आज इस निबंध में मैं आप सभी को बताने वाली हूं कि खुद पर फोकस करना क्यों जरुरी है? खुद को मजबूत बनाना क्यों अनिवार्य है? खुद पर ध्यान केंद्रित करना अर्थात अपने गुण से लेकर अवगुणों का अत्यंत गहराई से विश्लेषण करना। अवगुणों को दूर करने के लिए नियमित रूप से कार्य करना। जब आप खुद पर ध्यान केंद्रित करते हैं, तो आप अपनी क्षमताओं को पहचानते हैं, अपने लक्ष्यों को प्राप्त करते हैं और एक सार्थक, सुंदर और सफल जीवन जी पाते हैं। 1. जागरूकता : जागरूक अर्थात जगाना। खुद को जगाना अत्यंत आवश्यक है। शारीरिक, मानसिक एवं अध्यात्मिक रूप से खुद को जागरूक करना अत्यंत आवश्यक है।वर्तमान में अनेक ऐसे युवा जो डिप्रेशन के शिकार हो रहे हैं। कारण है - प्रेमिका ने धोखा दे दिया, परीक्षा में असफल इत्यादि कारणों से अनेक युवा डिप्रेशन में चले जा रहे हैं और अनेक युवा सुसाइड भी कर ले रहे हैं। पृथ्वी पर समस्त सजीव प्राणियों में मनुष्य सबसे श्रेष्ठतम प्राणी है। पाषाण युग से आधुनिक युग तक मनुष्य अपनी मेहनत, बुद्धि और कौशल की वजह से पहुंच पाया है। मानव शरीर बहुत दुर्लभ है। इसलिए हमें अपने समय और ऊर्जा का सार्थक उपयोग स्वयं को योग्य बनाने में व्यय करना चाहिए। जब आप खुद पर ध्यान केंद्रित करते है, तब आप अपनी ताकत और कमजोरियों को बेहतर ढंग से समझ पाते हैं। 2.आत्मविश्वास : आत्मविश्वास वह सुंदर गहना है, जिससे समग्र मन सुंदरता से परिपूर्ण हो जाता है।जब आप अपनी कमजोरियों से अवगत होते है, और जब नियमित रूप से प्रतिदिन अपनी कमजोरियों को दूर करने का प्रयत्न करते है.. और कई बार आपको जीवन के दौर में अनेक चुनौतियों का सामना भी कर पड़ता है। जब आप चुनौतियों से डटकर लड़ते है और चुनौतियों को पराजय कर देते है.. तब आपका आत्मविश्वास में वृद्धि होता है अर्थात आप अपनी आत्मा पर विश्वास करते है, अपनी क्षमताओं पर विश्वास करने लगते है। खुद पर ध्यान केंद्रित करना जीवन का सबसे महत्वपूर्ण और सार्थक कार्य है। 3. तनाव और लक्ष्य : किसी ने बिल्कुल सही कहा है - जब तक आपको खुद से प्रेम नहीं है तब तक आप किसी अन्य व्यक्ति (प्रेमी और प्रेमिका ) से प्रेम होना असम्भव है। आपके अंदर विभिन्न कमजोरियां, नकारात्मक विचार, बुरी आदतें इत्यादि। यदि ये सब मौजूद है और आप खुद से प्रेम करते है, तब यह प्रेम व्यर्थ है। सबसे पहले आपको खुद की नज़र में खुद को काबिल बनाना है। शारीरिक, मानसिक और अध्यात्मिक इत्यादि समग्र रूप से आपको मजबूत बनाना है। यह तब ही सम्भव हो पायेगा.. जब आप नियमित रूप से खुद पर कार्य करेंगे। जब आप धीरे - धीरे खुद का BETTER VERSION बनने लगते है, तब आप बाहरी तनाव से चिंतित नहीं रहते हैं, अपितु हर परेशानियों से लड़ने के लिए खुद को सक्षम बना पाते हैं। बिना लक्ष्य के जीवन व्यर्थ है। अधिकांश लोग जीवन में लक्ष्य निर्धारित कर लेते हैं,लेकिन उस लक्ष्य तक पहुँचने के लिए जिस मेहनत, ऊर्जा की आवश्यकता होती है..वह पूर्ण नहीं कर पाते हैं। लक्ष्य तक पहुंचने के लिए सबसे पहले खुद पर ध्यान केंद्रित करना अत्यंत आवश्यक है। खुद पर ध्यान केंद्रित करने से आप अपने लक्ष्य को स्पष्ट रूप से परिभाषित कर पाते हैं हुए उन्हें प्राप्त करने के लिए प्रभावशाली कदम उठा सकते हैं। इसलिए अगर आप अपने सपने को वास्तविक में देखना चाहते हैं, तब खुद पर फोकस कीजिये। 3. संतुष्टि और रिश्ते : रिश्ते को समझने और सही से निभाने के लिए सबसे पहले खुद के साथ हमारा कैसा रिश्ता यह समझना अत्यंत आवश्यक है। जब आप खुद पर ध्यान केंद्रित करते हैं और खुद पर कार्य करते हैं.. तब आप स्वयं के व्यवहार को अच्छे से समझ पाते हैं। जिससे यह लाभ होता है कि आप अन्य रिश्ते है या अन्य रिश्ते में जुड़ते है तब आप बेहतर संबंध बना पाते हैं। आज क्यों रिश्ते टूट रहे हैं? क्यों आज घर टूट रहे हैं? रिश्ते के लिए हम अन्य लोगों से जुड़ जाते है लेकिन उसे सार्थक और सफल रूप से निभा नहीं पाते है। अन्य रिश्ते को निभाने से पहले खुद के साथ ईमानदारी रूप से रिश्ता निभाना अत्यंत आवश्यक है। जब एक व्यक्ति शारीरिक, मानसिक एवं अध्यात्मिक रूप से सशक्त होता है.. तब उसे एक स्वस्थ व्यक्ति कहा जा सकता है। तन, मन और अध्यात्म रूप से मजबूत बनने के लिए खुद पर ध्यान केंद्रित करना अत्यंत आवश्यक है। जब आप समग्र रूप से मजबूत रहते है, तब आप अन्य व्यक्तियों के जीवन को बदल सकते हैं। इसलिए यह अत्यंत आवश्यक है कि खुद पर नियमित रुप से कार्य करें। यह कुछ महत्वपूर्ण लाभ है, जब आप खुद पर ध्यान केंद्रित करने लगते हैं। उपरोक्त लाभ के अतिरिक्त नई चीज़ें सीखने की इच्छा, सृजनात्मकता में वृद्धि, आत्म - विकास, नेतृत्व क्षमता, सेल्फ रिसक्पेक्ट एवं आत्म - अनुशासन इत्यादि। आशा करती हूं कि यह निबंध आपको अच्छा लगा होगा और आप सबसे पहले आप खुद को मजबूत बनाने के लिए कार्य करेंगे। धन्यवाद काजल साह

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