झारखंड के पेयजल और स्वच्छता विभाग में बड़ी वित्तीय अनियमितता सामने आई है। वित्त विभाग द्वारा गठित एक अंतर विभागीय जांच समिति ने करीब 160 करोड़ रुपये के कार्यों में गंभीर गड़बड़ियों की ओर इशारा किया है। समिति की रिपोर्ट के अनुसार, कार्यपालक अभियंता, स्वर्णरेखा शीर्ष प्रमंडल, रांची कार्यालय के जरिए की गई परियोजनाओं में अनियमितता पाई गई है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इंजीनियरों और कोषागार अधिकारियों की मिलीभगत से यह घोटाला संभव हुआ है। अकेले डीडीओ कोड RNCWSS001 से तीन करोड़ रुपये से अधिक की राशि विभिन्न वर्षों में अवैध रूप से निकाली गई। वर्ष 2019-20 में ही 2.71 करोड़ रुपये का गबन दर्ज किया गया, जबकि अन्य वर्षों में भी लाखों रुपये की अवैध निकासी हुई है।
जांच समिति ने सभी प्रमंडलों का विशेष ऑडिट कराने की सिफारिश की है ताकि अन्य संभावित गड़बड़ियों का भी पता लगाया जा सके। इस प्रकरण पर झारखंड विधानसभा में भी चर्चा हुई, जहां कांग्रेस विधायक प्रदीप यादव ने कई अभियंताओं की संलिप्तता का मुद्दा उठाते हुए सरकार से व्यापक कार्रवाई की मांग की।
अन्य विधायकों ने भी यह सवाल उठाया कि जब घोटाले में कई लोग शामिल हैं, तो कार्रवाई केवल एक अधिकारी, रोकड़पाल संतोष कुमार, तक ही सीमित क्यों है। जांच रिपोर्ट के आलोक में व्यापक स्तर पर जांच और दोषियों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई की मांग उठ रही है।
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