आशावादी विचारों से आशावादी जीवन का निर्माण होता है. इसलिए निराशा से दूर और आशावादी विचारों को हमें सदैव अपनना चाहिए। शांतिपूर्ण, स्नेहपूर्ण और हर्षपूर्ण जीवन जीने के लिए आशावादी सोच बेहद जरुरी है।"निराशा " आत्मविश्वास, आत्मबल एवं आत्मसंयम को नष्ट कर देता है।
आज इस निबंध मैं आप सभी के साथ साझा करुंगी कि "निराशा में डूबना क्यों नहीं चाहिए "। निराशा में डूबने से क्या – क्या नकारत्मक प्रभाव होता है? उन सभी प्रमुख बिंदुओं को आज मैं सभी के साथ साझा करुँगी।
1.स्वाभाविक : जीवन में सुख और दुख का आना स्वभाविक है।जीवन के कठिन दौर में अधिकांश लोग निराशा में डूब जाते हैं और कठिन परिस्थिति के सामने हार मानने लगते हैं। निराश होना स्वभाविक है, लेकिन निराशा में डूबे रहना यह गलत है।निराशा में डूबे रहने की वजह से ध्यान समस्या हल करने की ओर नहीं जाता, अपितु समस्या की ओर जाता है। हर कठिन परिस्थिति हमेशा नहीं रहती है। रात्रि के बाद प्रभात का आना स्वभाविक है, ठीक उसी प्रकार दुख के बाद सुख का आना तय है लेकिन जब कठिन परिस्थिति में निराशा में न डूबकर बल्कि आशावादी विचारों के साथ हम हल ढूढ़ते है। इस धरा पर कोई भी चीज़, कोई भी व्यक्ति इत्यादि कोई भी स्थायी नहीं है।
2.क्षति: निराशा वह विष है,जो सम्पूर्ण व्यक्तित्व को क्षति पहुंचा सकता है। सबसे सुंदर आभूषण मनुष्य का आत्मविश्वास को नकारत्मक सोच अर्थात निराशा नष्ट कर सकता है। निराशा में डूबे रहने से न हम आशावादी सोच पाते हैं,न ही समस्या का हल ढूढ़ते हैं। अपने क्षमता, कौशल और प्रयास पर भरोसा नहीं करते, जिसकी वजह से आत्मबाल और आत्मविश्वास कमजोर ही जाता है।
इस धरा पर छोटी से लेकर बड़ी से बड़ी वस्तुओं, कला इत्यादि का निर्माण अदम्य साहस से पूर्ण व्यक्ति,जिस व्यक्ति में प्रबल इच्छाशक्ति एवं कर्म के प्रति जूनून। ऐसे व्यक्तियों के वजह से आज लोगों को सुख – सुविधाएँ इत्यादि मिल रहे हैं।
आत्मविश्वास कमजोर होने से कई सुनहरे अवसर देखने में चूक जाते हैं। यही वजह है कि हमें निराशा में डूबना नहीं चाहिए। आशावादी विचारों से निराशावादी विचारों को नष्ट किया जा सकता है।
3.भटकरना एवं अस्वस्थ :निराशा में डूबे रहना से तन और मन दोनों को क्षति पहुंचता है। लक्ष्य प्राप्ति के दौरान मुसीबतों का आना स्वाभाविक है।लेकिन अधिकांश लोग डर जाते हैं और निराश होकर हार मानने लगते हैं,जिसकी वजह से मन लक्ष्य प्राप्ति की ओर नहीं जाता बल्कि समस्या की ओर जाता है,जिसके वजह से मन भटकने लगता है। लक्ष्य से भटकना अर्थात उद्देश्य से दूर होना।
लगातार नकारात्मक सोचना अर्थात् निराशा में डूबे रहने से मानसिक और अनेक बीमारियों को जन्म देता है। तन और मन दोनों को कमजोर हो सकते हैं।यही कारण है कि निराशा को विष कहा गया है।
4.कम और निर्णय: संघर्ष ही जीवन है।मनुष्य जीवन को सार्थक,सौंदर्यपूर्ण एवं सफल बनाने के लिए जीवन में हर कठिन परिस्थितियों से ,लोगों से एवं स्वयं के नकारात्मक विचारों से संघर्ष करना जरूरी है। निराशा में डूबे रहने से संघर्ष करने की क्षमता मनुष्य खोने लगता है।हिम्मत ,साहस एवं आत्मबल को निराशा नाश कर देता है।जिसकी वजह से मनुष्य आवेग में गलत फैसला ले लेता है।गलत फैसलों की वजह से उसी का नुकसान होता है।
5.समय: समय सबसे शक्तिशाली है।निराशा में डूबे रहने से सबसे कीमती उपहार समय की बर्बादी होती है। समय ही जीवन है।समय की बर्बादी अर्थात् जीवन की बर्बादी।इसलिए हमें निराशा में डूबकर नहीं रहना चाहिए। स्थित मन से हल ढूंढने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
तो अब आपको ज्ञात हो चुका होगा कि निराशा में डूबे रहने से कितना नुकसान होता है।उपरोक्त नुकसान के अलावा अन्य नुकसान है–प्रेरणा खत्म हो जाती है,रिश्तों पर असर पड़ता है,नकारात्मक ऊर्जा फैलती है एवं आत्मविकास रुक जाता हे।
जीवन एक सुंदर उपहार है।ईश्वर ने यह मनुष्य जीवन किसी उद्देश्य को पूर्ण करने के लिए दिया है।जीवन के महत्व को हमें समझना चाहिए।
आशा करती हूं कि यह निबंध आपको अच्छा लगा होगा।
धन्यवाद
निबंध : शिक्षा
शिक्षा सबसे शक्तिशाली अस्त्र है,जो व्यक्ति को मानसिक ,आध्यात्मिक , भावनात्मक रूप से सशक्त एवं मजबूत बनाती है।शिक्षा में व्यक्ति,परिवार,समाज ,देश एवं पूरे विश्व को बदलनेज ताकत है।नेल्सन मंडेला ने कहा था – शिक्षा ही सबसे शक्तिशाली अस्त्र है।
1.सोचने: विचारों को मजबूती एवं सकारात्मक शक्ति शिक्षा ही प्रदान करती है अर्थात् शिक्षा हमें विचारशील बनाती है।सही एवं गलत के बीच फर्क को समझ सकते हैं। विचारशील सोच जिससे हम बेहतर निर्णय ले पाते हैं।
2. नैतिकता: प्राइमरी क्लासेज से ही बच्चों के पाठ्यक्रम है।छोटी–छोटी कहानियां पढ़ाई जाती है।उन कहानियों के जरियों बच्चों को नैतिक मूल्य जैसे ईमानदारी ,सच्चाई,प्रेम इत्यादि मूल्य सिखाया जाता है।जिससे सशक्त व्यक्तित्व का निर्माण होता है अर्थात् गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से किसी भी व्यक्ति का चरित्र,नैतिक मूल्य इत्यादि अच्छे गुणों का विकास होता है।अच्छे गुण ही आचरण को सुदृढ़ ,सशक्त एवं उत्तम बनाता है।
3. निर्माण: शिक्षा के माध्यम से एक व्यक्ति मजबूत एवं विकसित बन सकता है।देश की समृद्धि में अपना योगदान दे सकता है।जिससे एक मजबूत,विकसित एवं समृद्धि राष्ट्र की नींव तैयार होते हैं।
अनगिनत लाभ है ,गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के।जैस : लोकतंत्र को मजबूती बनाती है,विश्व शांति ,भाषा और संवाद की क्षमता बढ़ती है इत्यादि।
आशा करती हूं कि यह दोनों निबंध आपको पढ़कर अच्छा लगा होगा।
धन्यवाद
काजल साह
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