वाणी में अपार शक्ति है। जिस प्रकार कमान से निकला हुआ तीर वापस नहीं आ सकता ठीक उसी प्रकार मुँह से निकले हुए शब्द वापस कभी नहीं आ सकते है।आचर्य चाणक्य जी ने कहा था - जिस व्यक्ति ने यह सीख लिया कि क्या, कब, कहाँ और कितना बोलना है.. उस व्यक्ति को सफल बनने से कोई रोक नहीं सकता है। शब्दों का सही उपयोग सही स्थान पर करने से जीवन आप सार्थक एवं सफलता जी पाते है।
आज इस निबंध के माध्यम से यह जानने का अभ्यास करेंगे कि शांत अर्थात साइलेंट क्यों जरुरी है? शांत रहने के क्या - क्या फायदे है? इत्यादि महत्वपूर्ण बिन्दुओ पर आज मैं आप सभी के साथ साझा करना चाहूँगी।
1. शांत : शांत रहना कोई कमजोरी नहीं बल्कि शांत रहना एक मजबूत अस्त्र है।शांत रहने के का अर्थ यह नहीं है कि आप हर स्थान पर शांत रहे। व्यर्थ के बातों से दूर रहना,ऊर्जा एवं समय का दुरूपयोग लड़ने में व्यय इत्यादि इन सभी व्यर्थ कार्यो में अपनी शक्ति का व्यय करना.. एक मूर्खता है। इसलिए यह बेहद अनिवार्य है कि व्यर्थ के लड़ाई -झगड़ो से दूर रहे। अत्यधिक अपने बातों को रखने से ज्यादा सलाह देने (बिन मांगे सलाह देना ) इत्यादि इन सभी में ऊर्जा एवं समय का व्यय होता है।
जीवन को सार्थकपूर्ण एवं सफलता से परिपूर्ण बनाने के लिए अपने ऊर्जा एवं समय का सदुपयोग करना अनिवार्य है। इसलिए शांत रहना इसलिए जरुरी है, जिससे आपको शांति, उत्साह एवं उमंग प्राप्त होगा।
2. तनाव : शांत में अद्भुत एवं अपार शक्ति है। अत्यधिक अर्थात व्यर्थ बोलने से ऊर्जा एवं समय का व्यय होता है। जिसकी वजह से अधिकांश व्यक्ति अपने ऊर्जा एवं समय का सही उपयोग सही स्थान पर नहीं कर पाते है। जिससे तनाव और चिंता में बढ़ोत्तरी होती है। लेकिन जब हम शांत रहने का अभ्यास करते है अर्थात कब, कहाँ और कितना बोलना है जब हम यह सीख जाते है, तब ऊर्जा एवं समय का सही स्थान पर उपयोग करना भी सीख लेते है। तनाव जीवन से दूर होने लगता है। तनाव एक घातक विष की भांति है, जिसके आगमन से तन एवं मन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। लेकिन शांत रहने से हम तनाव से लड़ने में सक्षम होते हैं।उत्साह एवं उमंग से पूर्ण जीवन जी सकते है।
3. बेहतर रिश्ते : कई रिश्ते इसलिए टूटते है, क्युकी उस रिश्ते में बेहतर संचार कौशल का आभाव रहता है।किसी भी रिश्ते को मजबूत बनाने के लिए एक - दूसरे को समझना अनिवार्य है।शान्ति एक मजबूत एवं प्रगति का प्रतीक है। क्युकी शांत रहने से हम दूसरों के साथ बेहतर एवं मधुर संबंध बना सकते है। रिश्ते में मौजूद गुस्सा, चिड़चिड़ापन इत्यादि को धीरे - धीरे शांत रहने से दूर किया जा सकता है।शांत रहने से हम अपने पार्टनर को समझ पाते है।
4. निर्णय : कई बार जल्दीबाजी में ऐसे कई निर्णय लेना पड़ता है, जिसका व्यापक प्रभाव भविष्य में भी पड़ता है।जल्दीबाजी की क्रिया कई बार घातक भो सकती है। इसलिए शान्ति अर्थात शांत रहने से से आप बेहतर निर्णय ले सकते है। सही दिशा में निर्णय लेने की शक्ति शान्ति के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है। एक अच्छा वक्ता बनने के लिए एक अच्छा श्रोता बनना बेहद जरुरी है। रिश्ते को मजबूत करने के लिए एक - दूसरे को शांति एवं ध्यान समझना अनिवार्य है। शांति एक मजबूत अस्त्र है, जिसके माध्यम से रिश्ते में चिड़चिड़ापन दूर होने लगता है।
5. आत्मविश्वास एवं गुणों में वृद्धि : शांत एक अनमोल गहना है, जिसे धारण करने से आंतरिक एवं बाह्य दोनों में सुंदरता बढ़ती है।शांत रहने से हम स्वयं को गहराई से जानने में सक्षम बन पाते है। शांत रहने से हम अधिक क्रिएटिविटी होते है, क्युकी मन शांत और केंद्रित होता है। शांत मन किसी भी विषय या कार्य को सरलता से समझ पाते है।
6. मानसिक स्वास्थ्य : तन स्वस्थ हो इसके लिए हम स्वस्थ भोजन का सेवन करते है। ठीक उसी प्रकार स्वस्थ मन के लिए शांत रहना बेहतर होता है। स्वस्थ तन और स्वस्थ मन से परेशानियों से लेकर बीमारियों से लड़ सकते है।
7. ख़ुशी : शब्दों विष और अमृत दोनों है। लेकिन शब्दों को हम ही अमृत और विष बना सकते है। जीवन क्षणभंगूर है।इस छोटे से जिंदगी को खुशहाली से रंगीन शांत स्वाभाव बना पाता है।शांत रहने से गुस्सा, नफ़रत, घृणा इत्यादि सारे अवगुण जीवन से मिटने लगते है। धीरे - धीरे जीवन सौंदर्यपूर्ण होने लगता है।
अंत में यही कहना चाहूँगी कि शांत रहना एक कला है। इस कला को हमें शीघ्रता से सीखना चाहिए। ध्यान, योगा, नियमित अभ्यास इत्यादि के माध्यम से सीख सकते है।
रविवार केवल मनोरंजन नहीं
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रविवार केवल मनोरंजन का दिन नहीं है अपितु मनोमंजन का भी दिन है। अधिकांश विद्यार्थी रविवार या अन्य छुट्टियों के दिनों को मनोरंजन में बिता देते है। छुट्टियों का दिन हमें एक सुनहरा अवसर की तरह देखना चाहिए।आज इस निबंध के माध्यम से हम यह जानने का अभ्यास करेंगे कि संडे या अन्य छुट्टियों के दिनों को कैसे उम्दा और रोचक बना सकते है?
आराम करने के साथ - साथ छुट्टियों के दिनों को ज्ञानवर्धक बनाने का हमें अभ्यास करना चाहिए।
1. किताब : जीवन का सुंदर और अनमोल मित्र अच्छी किताबें है। जिसके अध्ययन से ज्ञान, भाषा - कौशल, शब्दकोष इत्यादि में वृद्धि होता है।छुट्टियों के दिनों को ज्ञानवर्धक और मनोमंजन बनाने के लिए अच्छी किताबों का चयन करें।
किताब पढ़ने से ज्ञान, विश्वास, कौशल इत्यादि में धीरे - धीरे विकास होता है। इसलिए हर रविवार को इतिहास, छोटी कहानियाँ, सेल्फ - हेल्प बुक्स इत्यादि का अध्ययन करने की शुरुआत करें।
2. कौशल :प्रतिस्पर्धा के युग में जिस व्यक्ति के पास ज्ञान के साथ कौशल है, उसी व्यक्ति की जरूर कंपनी में है। छुट्टियों के दिनों का सदुपयोग करें। प्रतिस्पर्धा के युग में आगे बढ़ने के लिए छुट्टियों के दिनों का उपयोग नए - नए कौशल सीखें। ऑनलाइन के माध्यम से आज आसानी से हर कौशल सीखा जाता है।इसे ना केवल अपमान दिमाग़ तेज़ होता है, अपितु नए - नए शौक का भी विकास हो सकता है।
3. डॉक्यूमेंट्री : इंटरनेट के युग में ज्ञान की हर समाग्री इंटरनेट पर उपलब्ध है। ऐतिहासिक घटना, प्रकृति, विज्ञान, समाज पर आधारित डॉक्यूमेंट्री देखें। संडे या छुट्टियों का दिन केवल मूवी के लिए नहीं होता है। आप नए - नए विषय पर डॉक्यूमेंट्री के माध्यम से ज्ञान में वृद्धि कर सकते है।
4. यात्रा : संडे या छुट्टियों के दिनों में ऐसे स्थानों पर यात्रा करने जाये.. जहाँ नए -नए चीजों के बारे में का अवसर मिले। जैसे : आप म्यूजियम जा सकते है। जहाँ आप कला से लेकर इतिहास तक साहित्य से लेकर सिनेमा तक, देश लेकर विदेश तक इत्यादि विभिन्न क्षेत्रों एवं विषयों के बारे में जान सकते है।
यात्रा करना एक महत्वपूर्ण कार्य है। जिससे तनाव, चिंता, अवसाद दूर होने लगता है।
यह कुछ महत्वपूर्ण क्रिया है, जो आप छुट्टियों के दिनों में कर सकते है। उपरोक्त के अलावा आप पॉडकास्ट सुने( अपने लक्ष्य से संबंधित ), ब्लॉग पढ़े ( अपने रूचि से संबंधित विषय ), भाषा सीखें, कोई नया खेल सीखें, प्रकृति में समय बिताएं इत्यादि।
धन्यवाद
काजल साह
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