जीवन में सीखा हुआ हर पाठ काम आता है अर्थात् ज्ञान कभी व्यर्थ नहीं जाता।बचपन से लेकर जीवन के अंतिम क्षणों तक मनुष्य अपने समाज से ,परिवार से ,शिक्षा से इत्यादि से सीखता है। जीवन में शिक्षा और अनुभव कभी व्यर्थ नहीं जाता। इसलिए कहा जाता है कि सीखना एक व्यापक सतत् एवं जीवन पर्यन्त चलनेवाली महत्वपूर्ण प्रक्रिया है।
जीवन में हम जो कुछ भी सीखते हैं,वह जीवन के किसी न किस पड़ाव , परिस्थितियां इत्यादि में जरूर काम आता है।
आज इस निबंध मैं आप सभी के साथ एक महत्वपूर्ण विषय जिसका नाम है " हर सीखा हुआ पाठ काम आता है"
1. बड़ा: पृथ्वी पर उपस्थित समस्त प्राणियों में मनुष्य श्रेष्ठतम प्राणी है।मनुष्य सोच सकता है, ज्ञान अर्जित कर सकता है, अविष्कार कर सकता है अर्थात् मनुष्य के पास निर्माण और विध्वंश दोनों की शक्ति है।
एक शिशु जब धीरे– धीरे बड़ा होता है,तब वह अपनी विभिन्न अवस्थाओं जैसे बाल्यावस्था
युवावस्था जैसे क्षणों में अपने कार्यों से अच्छा और बुरा दोनों अनुभव सीखता है। ये अच्छे और बुरे अनुभव ही हमें आगे बढ़ने में मदद करते हैं,इसलिए अनुभव ही सबसे बड़ा शिक्षक होता है।
2. व्यर्थ: शिक्षा का उद्देश्य केवल नौकरी पाने तक सीमित नहीं है ,बल्कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उसे कहते हैं,जो मनुष्य का चरित्र विकास ,नैतिक गुणों,धार्मिक गुणों अर्थात जो समग्र गुणों का विकास करें ,उसे ही गुणवत्तापूर्ण शिक्षा कहते हैं।
छोटे बच्चों को बचपन से ही विभिन्न नैतिक गुणों से संबंधित कहानियां पढ़ाई जाती है।यह छोटी – छोटी कहानियों से जो बड़ी सीख मिलती है।यह सीख ही बच्चों के चरित्र को नैतिक आकर देती है ।
आज के समय में अनेक ऐसे भी युवा है,जो शिक्षा को महत्व नहीं देते और ज्ञान हासिल करने के प्रति कौतूहल नहीं रहते।सीखा हुआ हर विषय भले आज हमें उपयोगी न लगे,लेकिन भविष्य में वह किसी महत्वपूर्ण अवसर पर हमारी सहायता कर सकता है।
3. गलतियां :मनुष्य से गलती होना स्वाभाविक है।लेकिन उसी गलती को बार – बार करना उचित नहीं,बल्कि गलती से सीखना बेहद जरूरी है,क्योंकि अगर हम पिछली गलतियों से सीखते हैं,तो हम भविष्य में उन्हें दोहराने से बच सकते हैं।
जीवन क्षणभंगुर है अर्थात् किसी भी क्षण,किसी भी उम्र,किसी भी अवस्था में जीवन नष्ट हो सकता है अर्थात् जीवन इतनी बड़ी नहीं है कि हम गलतियां करके – करके सीखें। समझदार व्यक्ति वह है,जो अन्य के गलतियों से सीखता है।अनेक वर्षों के अनुभवों को राइटर्स कुछ पन्नों में हम सभी के साझा करते हैं,यूट्यूब पर लेजेंडरी लोगों का इंटर्व्यू,पॉडकास्ट, स्पीच हैं इत्यादि माध्यमों से हम सीख सकते हैं।
4. कार्य : भारत में ऐसे लोगों की संख्या अधिक है,जो अपने काम को केवल एक उबाऊ काम के रूप में देखते हैं अर्थात वे 9 am टू 5 pm जॉब केवल धन अर्जित करने के लिए करते हैं।यह कोई बुरी बात नहीं है,लेकिन अगर हम अपने जॉब को आनंद से करेंगे ,तब यह सीखने और उत्साह का माध्यम बन सकता है।
कई बार हम जिस क्षेत्र में कार्य कर रहे होते हैं,तब उस कार्य को सशक्त बनाने के लिए स्किल्स की आवश्यकता पड़ती है।जब स्किल्स अर्जित कर लेते हैं,तब यह स्किल्स जॉब के साथ जीवन के किसी न कैसी मोड़ पर वे उपयोगी साबित होती है।
5. समस्या समाधान : विनम्रता, ज्ञान और बुद्धि ये तीनों विपत्ति काल के साथी हैं। जीवन के कठिन दौर में अधिकांश मनुष्य अपना साहस और हिम्मत खो देते हैं और समस्याओं के सामने हार मान लेते हैं लेकिन वीर वह मनुष्य है,जो कठिन दौर में शांति ,साहस एवं विनम्रता के साथ कठिन दौर से संघर्ष करता है।यह संघर्ष करने की शक्ति मनुष्य जीवन के अनुभव और ज्ञान प्राप्त करता है।इसलिए learning and experience ये दोनों जीवन के सुखद और विपत्ति के क्षणों में हमारी मदद करता है ।
6. आत्मनिर्भता: जब हम विभिन्न चीजें सीखते हैं,तो हमें दूसरों कम निर्भर रहना पड़ता है ।यह आत्मनिर्भता हमारे अंदर आत्मज्ञान, आत्मबल और आत्मविश्वास में बढ़ोत्तरी करती है।
तो अब आप चुके होंगे कि जीवन में सीखा हुआ ज्ञान कभी व्यर्थ नहीं जाता।इसलिए खूब पढ़िए,अनुभव कीजिए और आगे बढ़िए।आशा करती हूं कि यह निबंध आपको अच्छा होगा।
धन्यवाद
काजल साह
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